क्र०सं | विशेष | उत्तर |
---|---|---|
1 | आधार संख्या | 6.76184E+11 |
2 | किसान का नाम | श्री टुनटुन मंडल |
3 | ग्राम | डुमरिया, विषनपुर, |
4 | प्रखंड | मनसाही |
5 | थ्जला | कटिहार |
6 | शैक्षणिक योग्यता | मैट्रिक |
7 | टेलीफोन नं० | 9709621008 |
8 | प्रक्षेत्र का क्षेत्रफल | 1.5 एकड़ |
9 | मवेशीयों की संख्या | मूर्गीपालन-50 |
10 | पोखड़ का क्षेत्रफल | नहीं |
11 | कृषि विज्ञान केन्द्र/ विश्वविद्यालय जिससे आप लाभान्वित हा ेरहें हंै। | कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार से समेकित कृशि प्रणाली का प्रषिक्षण प्राप्त किया है। गरीबों के उत्थान के लिए श्भावना किसान क्लबश् का गठन कर किसानों को उन्नत खेती का जानकारी प्रदान करते हैं। |
12 | उद्यम | क्लब की महिलाओं को जूट का प्रषिक्षण दिलाकर स्वाबलंबी, स्वरोजगारोन्मुखी बनाने का कार्य करते हैं। उद्यमिता विकास के लिए मुर्गीपालन, कम लागत में वर्मी कम्पोस्ट, बांसबेड बना कर वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन करते हैं। |
13 | उद्यम से लाभांवित किसानो की संख्या | 200 |
14 | पिछले 2-3 वर्षो में औसतम बढ़त्तोरी | 8-9 प्रतिशत |
15 | वार्षिक आय विगत पाँच वर्षो में | 350000 |
16 | प्रशिक्षण प्राप्त | कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार द्वारा प्रशिक्षित |
17 | सदस्य स्वयं सदस्यता समूह / संघ / संगठन /समिति(कम से कम एक साल के रूपमें सदस्यता) | 10 |
18 | अपनी उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण | टूनटून मंडल गा्रम डूमरिया विषनपुर मनसाही कटिहार के निवासी हैं इन्होनें विभिन्न संस्थाओं से प्रषिक्षण प्राप्त किया है। जिसमें प्रमुखतः बिरसा कृशि विष्वविद्यालय रांॅची में बकरी पालन प्रषिक्षण, केन्द्रीय आलू रिसर्च सेन्टर से आलू, राजेन्द्र कृशि विष्वविद्यालय, पुसा बिहार से औशधीय पौधा के उन्नत खेती, केन्द्रीय मात्सियकी षिक्षा संस्थान से मत्स्य एवं झींगा पालन, राजेन्द्र कृशि विष्वविद्यालय, पूसा बिहार से वर्मी कम्पोस्ट कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार से मधुमक्खी पालन, नेषनल इन्स्चयुट आॅफ रिसर्च ओन जुट एन्ड एलाइंड फाइबर कलकता- जूट, कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार बिहार से गा्रफ्टिंग एवं लेयरिंग के द्वारा पौधा का प्रवर्धन, साईंस फाॅर सोसाइटी पुर्णिया से एस0 एच0 जी0, उत्तर बिहार गा्रमीण बैंक मनसाही से एस0 एच0 जी0 का कार्य, कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार से समेकित कृशि प्रणाली का प्रषिक्षण प्राप्त किया है। कमजोर वर्ग के किसानों हेतु श्भावना किसान क्लबश् का गठन कर किसानों को उन्नत खेती की जानकारी प्रदान करते हैं। क्लब की महिलाओं को जूट से प्रषिक्षण दिलाकर स्वाबलंबी, स्वरोजगारोन्मुखी बनाने का कार्य करते हैं। उद्यमिता विकास के लिए मुर्गीपालन, और कम लागत में वर्मी कम्पोस्ट, बांसबेड बना कर वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन करते हंै। श्री टूनटून मंडल के द्वारा किसान मेला एवं बिहार दिवस 2013 में अपने स्टाॅल के माध्यम से किसानों का ज्ञानवर्धन किया गया। बिहार दिवस 2013 के अवसर पर कृशि विज्ञान केन्द्र, कटिहार से सहयोग से बांस के उत्पादों का स्टाॅल लगाया गया था जिसे काफी सराहा गया। |
19 | नवाचार | उघिमता विकास |
20 | पुरस्कार | नाबार्ड द्वारा प्रषस्ति पत्र |
22 | कृषि के अतिरिक्त अन्य क्रियाकलाप हो | मूर्गीपालन सूअर पालन |
23 | कृषि विज्ञान केन्द ,रकी अनुशंसा | अनुशसित |
क्र०सं | विशेष | उत्तर |
---|---|---|
1 | आधार संख्या | 4.99655E+11 |
2 | किसान का नाम | श्री सत्य नारायण मंडल |
3 | ग्राम | भेडमारा |
4 | प्रखंड | म्नसाही |
5 | थ्जला | कटिहार |
6 | शैक्षणिक योग्यता | इंटर |
7 | टेलीफोन नं० | 9931100376 |
8 | प्रक्षेत्र का क्षेत्रफल | 2 एकड़ |
9 | मवेशीयों की संख्या | 2 गाय |
10 | पोखड़ का क्षेत्रफल | न्हीं |
11 | कृषि विज्ञान केन्द्र/ विश्वविद्यालय जिससे आप लाभान्वित हा ेरहें हंै। | इन्होंने कृशि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से संपर्क कर खेती की नई विद्याओं को सीखा एवं वैज्ञानिक विधि से खेती प्रारम्भ किया। इन्होंने मक्का उत्पादन का भी प्रषिक्षण लिया। |
12 | उद्यम | मक्का उत्पादन |
13 | उद्यम से लाभांवित किसानो की संख्या | 35 |
14 | पिछले 2-3 वर्षो में औसतम बढ़त्तोरी | 6-8 प्रतिशत |
15 | वार्षिक आय विगत पाँच वर्षो में | 50,000.00 |
16 | प्रशिक्षण प्राप्त | कृशि विज्ञान केन्द्र, कटिहार के द्वारा |
17 | सदस्य स्वयं सदस्यता समूह / संघ / संगठन /समिति(कम से कम एक साल के रूपमें सदस्यता) | 2 |
18 | अपनी उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण | वर्श 2015 में मैंे कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार आकर नई-नई तकनीक के बारे में जानकारी प्राप्त की, जिसमें कम लागत एवं कम जमीन में अधिक मुनाफा वाले फसल मक्का जानकारी प्राप्त की। और इस तरह मक्का की खेती से हम अपने परिवार का आज भरण पोषण सही ढंग से कर रहे है। किसान क्लव की स्थापना कर अपने गांव के किसानों के बीच जागरूकता पैदा कर रहे है। |
19 | नवाचार | न्हीं |
20 | पुरस्कार | न्हीं |
21 | कृषि क्रियाकलाप के लिए राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय भ्रमण | न्हीं |
22 | कृषि के अतिरिक्त अन्य क्रियाकलाप हो | न्हीं |
23 | कोई अन्य जानकारी अगर उपलब्ध हो | न्हीं |
24 | कृषि विज्ञान केन्द ्रकी अनुशंसा | अनुशंसित |
क्र०सं | विशेष | उत्तर |
---|---|---|
1 | आधार संख्या | 8.19963E+11 |
2 | किसान का नाम | श्रीमती सीता देवी |
3 | ग्राम | बड़ी बथना |
4 | प्रखंड | म्नसाही |
5 | जिला | कटिहार |
6 | शैक्षणिक योग्यता | मीडिल पास |
7 | टेलीफोन नं० | 9709867119 |
8 | प्रक्षेत्र का क्षेत्रफल | 03 एकड |
9 | मवेशीयों की संख्या | न्हीं |
10 | पोखड़ का क्षेत्रफल | न्हीं |
11 | कृषि विज्ञान केन्द्र/ विश्वविद्यालय जिससे आप लाभान्वित हा ेरहें हंै। | वर्श 2012 में मैंे कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार आकर नई-नई तकनीक के बारे में जानकारी प्राप्त की, जिसमें कम लागत एवं कम जमीन में अधिक मुनाफा पर पाॅलीहाउस पर जानकारी प्राप्त की। नवम्बर 2012 में मैंने पाॅलीहाउस का निर्माण करा लिया, जिसमें प्रषिक्षण के लिए कृशि विष्वविद्यालय सबौर में जाकर पाॅलीहाउस में खेती की जानकारी प्राप्त की। पाॅलीहाउस में पहले षिमला मिर्च की खेती की जिसमें लगभग 30,000 रूप्ये लागत लगा। जिसमें मैंने उस 1000 ेु उमजमत में लगभग 29 किलोग्राम षिमला मिर्च प्राप्त किया, जिसे कटिहार बाजार में 40 रूप्ये प्रति किलो से 90 रूप्ये प्रतिकिलोग्राम की दर से बिक्री किया। इसमें लगभग 1,20,000 कुल बिक्री हुई उत्पादन खर्च 30000 रूप्ये घटाकर कुल षुद्ध आय लगभग 90,000 रूप्ये प्राप्त हुआ। आज मैं अपने पति के सहयोग से अपने पैरों पर खड़ी हॅूं जिससे कि मैं अपने बच्चों को अच्छी षिक्षा दे पा रही हॅूं तथा परिवार का भरण-पोशण अच्छी तरह से कर रही हूॅं। मैं सदा कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार का सदा आभारी बनी रहूॅंगी। |
12 | उद्यम | पाॅलीहाउस में खेती कर आत्म निर्भर |
13 | उद्यम से लाभांवित किसानो की संख्या | 80 |
14 | पिछले 2-3 वर्षो में औसतम बढ़त्तोरी | 5-7 प्रतिशत |
15 | वार्षिक आय विगत पाँच वर्षो में | 1,00,000 |
16 | प्रशिक्षण प्राप्त | कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार के द्वारा |
17 | सदस्य स्वयं सदस्यता समूह / संघ / संगठन /समिति(कम से कम एक साल के रूपमें सदस्यता) | हाॅं |
18 | अपनी उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण | मेरे पति श्री षिवनाथ कुमार हैं जो एक छोटा किसान हैं। आज के दौर में बहुत ही परिश्रम कर अपने परिवार का भरण-पाशण किसी तरह कर पाती थी। मेरे क्षेत्र में अधिक से अधिक हरी सब्जी की खेती होती है, जिसमें मेरा परिवार भी आलू, बैंगन इत्यादि की खेती में लगा रहता था। कभी वर्शा की मार तो कभी आॅंधी एवं प्राकृतिक आपदा के कारण खेती में जो लागत पूॅंजी लगती थी वो भी नहीं आता था। दिन-प्रतिदिन खेती कर्ज के तले दबता पाॅलीहाउस में खेती कर आत्म निर्भर कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार के द्वार मेरे पति श्री षिवनाथ कुमार हैं जो एक छोटा किसान हैं। आज के दौर में बहुत ही परिश्रम कर अपने परिवार का भरण-पाशण किसी तरह कर पाती थी। मेरे क्षेत्र में अधिक से अधिक हरी सब्जी की खेती होती है, जिसमें मेरा परिवार भी आलू, बैंगन इत्यादि की खेती में लगा रहता था। कभी वर्शा की मार तो कभी आॅंधी एवं प्राकृतिक आपदा के कारण खेती में जो लागत चला गया। किसी काम से मैं एक दिन बाजार गयी तो देखी की कई तरह की बेमौसमी सब्जियाॅं जैसे- षिमला मिर्चा, टमाटर, खीरा, धनियाॅं इत्यादि बिक रही थी। जिसकी कीमत अन्य दिनों से बहुत ज्यादा थी, तभी मन में ख्याल आया कि हम भी इसकी खेती क्यों नहीं करें जिससे अच्छी आमदनी हो तो मैंने इस संबंध में कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार से संपर्क किया। |
19 | नवाचार | व्यावसायिक स्तर पर पाॅलीहाउस में षिमला मिर्च टमाटर एवं अन्य बेमौसमी सब्जियों की खेती करना। |
20 | पुरस्कार | |
21 | कृषि क्रियाकलाप के लिए राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय भ्रमण | |
22 | कृषि के अतिरिक्त अन्य क्रियाकलाप हो | |
23 | कोई अन्य जानकारी अगर उपलब्ध हो | |
24 | कृषि विज्ञान केन्द ्रकी अनुशंसा | अनुशंसित |
क्र०सं | विशेष | उत्तर |
---|---|---|
1 | आधार संख्या | 9.34414E+11 |
2 | किसान का नाम | श्री सुरेष प्रसाद सिंह |
3 | ग्राम | ताजगंज-चिलमारा |
4 | प्रखंड | कटिहार |
5 | थ्जला | कटिहार |
6 | शैक्षणिक योग्यता | इंटर |
7 | टेलीफोन नं० | 8252051536 |
8 | प्रक्षेत्र का क्षेत्रफल | 0.8 हेक्टेयर |
9 | मवेशीयों की संख्या | दो गाय |
10 | पोखड़ का क्षेत्रफल | न्हीं |
11 | कृषि विज्ञान केन्द्र/ विश्वविद्यालय जिससे आप लाभान्वित हा ेरहें हंै। | कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार के संपर्क में आये तथा विभिन्न प्रषिक्षणों को प्राप्त किया। इसके बाद इन्होंने अपने गाॅंव के निकट कटिहार मुख्यालय होने के कारण सब्जियों की खेती को चुना। इन्होंने अपने खेती में विभिन्न जैविक उपायों को भी अपनाया जिसके कारण आज श्री सिंह एक सफल किसान की श्रेणी में हैं और समाज में इनका विषेश प्रभाव भी है। |
12 | उद्यम | सब्जियों की खेती में ट्राइकोड्रमा का प्रयोग किया साथ ही साथ एजेटोवैक्टर एवं फाॅस्फोवैट्रीरिया का प्रयोग किया सब्जियों में वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग कर बढ़ते रसायनिक खाद की प्रवृति को कम किया साथ ही साथ वर्मीवास का प्रयोग कर बढ़ते कीटनाषक का प्रयोग कम किया। हरी खाद के रूप में ढैंचा एवं मॅूंग का प्रयोग किया मिट्टी जाॅंच कराकर सही अनुपात में रसायनिक खाद का प्रयोग करता हॅूं। जल विलेय उर्वरकों का प्रयोग (17ः44) एवं 19ः19ः19ः1 फास्फो-सल्फो-नाइट्रो कम्पोस्ट का प्रयोग स्वयं बनाकर करता हॅूं। |
13 | उद्यम से लाभांवित किसानो की संख्या | 40 |
14 | पिछले 2-3 वर्षो में औसतम बढ़त्तोरी | 6-9 प्रतिशत |
15 | वार्षिक आय विगत पाँच वर्षो में | 3.00.000 |
16 | प्रशिक्षण प्राप्त | कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार के द्वारा |
17 | सदस्य स्वयं सदस्यता समूह / संघ / संगठन /समिति (कम से कम एक साल के रूपमें सदस्यता) | 5 |
18 | अपनी उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण | पुरूशार्थी कृशक श्री सुरेष प्रसाद सिंह कहते है परिस्थितियाॅ, लाचारी और मजबुरी व्यक्ति से सब कुछ करवा लेती है। ऐसा व्यक्ति अच्छे कार्य भी कर सकता है और बुरे भी चाहे तो वह खुद बुलंद हौसला रखते हुए कड़ी मेहनत और लगन से कार्य करता हुआ सम्मानजनक जीवन जी सकता है और चाहे तो कुमार्ग पर चलकर अपनी तथा अपने परिवार की छवि को धुमिल भी कर सकता है। कटिहार जिले के चिलमाडा गा्रम के श्री सुरेष प्रसाद सिंह के जीवन की कहानी अत्यंत संधर्शपूर्ण है। चिलमारा कृशि प्रधान गाॅव इसी गाॅव के साधारण कृशक परिवार में श्री सुरेष प्रसाद सिंह का जन्म हुआ। स्नातक तक की षिक्षापूर्ण करने के बाद जब इन्हें नौकरी नहीं मिली तो समाज ने नकारा कह कर बुलाना षुरू किया उसी वक्त इन्होंने अपना स्वयं का रोजगार यानि कि खेती अपनाने की बात ठानी। इनके फैसले से परिवार में कोई खुषी नहीं हुई, इन्होंने खेती षुरू किया जिससे इनका सामान्य जीवन चल निकला। कुछ समय के पश्चात् वे कृशि विज्ञान केन्द्र कटिहार के संपर्क में आये तथा विभिन्न प्रषिक्षणों को प्राप्त किया। इसके बाद इन्होंने अपने गाॅंव के निकट कटिहार मुख्यालय होने के कारण सब्जियों की खेती को चुना। इन्होंने अपने खेती में विभिन्न जैविक उपायों को भी अपनाया जिसके कारण आज श्री सिंह एक सफल किसान की श्रेणी में हैं और समाज में इनका विषेश प्रभाव भी है। इन प्रयासों के परिणाम के कारण आज दूसरे किसानों ने भी सब्जियों की खेती की ओर अपना रूख किया है। |
19 | नवाचार | 1 मिट्टी जाॅंच 2 हरी खाद का प्रयोग। 3 एजोबेक्टर, फास्फोबैक्ट्रिया का प्रयोग। 4 ट्राइकोड्रमा का प्रयोग 5 जीरो टीलेज का प्रयोग 6 धान की श्रीविधि का प्रयोग |
20 | पुरस्कार | |
21 | कृषि क्रियाकलाप के लिए राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय भ्रमण | |
22 | कृषि के अतिरिक्त अन्य क्रियाकलाप हो | पशुपालन |
23 | कोई अन्य जानकारी अगर उपलब्ध हो | |
24 | कृषि विज्ञान केन्द ्रकी अनुशंसा | अनुंशसित |
क्र०सं | विशेष | उत्तर |
---|---|---|
1 | आधार संख्या | 3.7174E+11 |
2 | किसान का नाम | श्री ऋषि कांत सिंह |
3 | ग्राम | मुजबर टाल |
4 | प्रखंड | म्निहारी |
5 | जिला | कटिहार |
6 | शैक्षणिक योग्यता | इंटर |
7 | टेलीफोन नं० | 9572467801 |
8 | प्रक्षेत्र का क्षेत्रफल | 1.0 एकड |
9 | मवेशीयों की संख्या | न्हीं |
10 | पोखड़ का क्षेत्रफल | 1 |
11 | कृषि विज्ञान केन्द्र/ विश्वविद्यालय जिससे आप लाभान्वित हा ेरहें हंै। | इन्होंने कृशि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से संपर्क कर खेती की नई विद्याओं को सीखा एवं वैज्ञानिक विधि से खेती प्रारम्भ किया। किसान क्लव की स्थापना कर अपने गांव के किसानों के बीच जागरूकता पैदा कर रहे है। |
12 | उद्यम | र्वैज्ञानिक विधि से खेती |
13 | उद्यम से लाभांवित किसानो की संख्या | 100 |
14 | पिछले 2-3 वर्षो में औसतम बढ़त्तोरी | 7-9 प्रतिशत |
15 | वार्षिक आय विगत पाँच वर्षो में | 1,00,000 |
16 | प्रशिक्षण प्राप्त | कृशि विज्ञान केन्द्र, कटिहार के द्वारा |
17 | सदस्य स्वयं सदस्यता समूह / संघ / संगठन /समिति(कम से कम एक साल के रूपमें सदस्यता) | हाँ |
18 | अपनी उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण | श्री श्री ऋषि कांत सिंह अपनी परिवारिक परिस्थितियों के कारण मात्र प्रवेषिका तक की षिक्षा पूर्ण करने के बाद जब अपनी आजीविका के विशय में सोचना षुरू किया तब इस युवा को कई मार्ग मिले कुछ दूसरे उपायों जैसे किसी फैक्ट्री में काम करना भी इन्होंने षुरू किया। कुछ दिनों के पश्चात् इन्होंने महसूस किया कि दूसरे जगह काम करने से अच्छा है कि अपने छोटे से भू-भाग में अपने पिता का हाथ बंटाकर अगर खेती की जाय तो कोई बुराई नहीं। इन्होंने कृशि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से संपर्क कर खेती की नई विद्याओं को सीखा एवं वैज्ञानिक विधि से खेती प्रारम्भ किया। इन्होंने मषरूम उत्पादन का भी प्रषिक्षण लिया एवं मषरूम उत्पादन षुरू किया। आज श्री ऋषि कांत सिंह समाज के अन्य वर्गो के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। इन्होंने कई स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को मषरूम उत्पादन समूहों के सदस्यों को मषरूम उत्पादन का प्रषिक्षण दिया एवं उनकी सहायता की। इनके द्वारा दिए गए प्रषिक्षणों में महिलाओं को रोजगार हेतु मषरूम उत्पादन पर प्रषिक्षित करना प्रमुख है। |
19 | नवाचार | अपने समुह में मषरूम उत्पादन करवाना |
20 | पुरस्कार | नहीं |
21 | कृषि क्रियाकलाप के लिए राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय भ्रमण | नहीं |
22 | कृषि के अतिरिक्त अन्य क्रियाकलाप हो | नहीं |
23 | कोई अन्य जानकारी अगर उपलब्ध हो | जीविका के भी0आर0पी0 (मनिहारी ब्लाॅक) |
24 | कृषि विज्ञान केन्द ्रकी अनुशंसा | अनुंशंसित |